'SIR पर मेरी रिपोर्टिंग के बाद बेगूसराय पुलिस मुझे फंसाने के लिए साजिशों का सहारा ले रही है'
🔖 अजीत अंजुम
बिहार में बेगूसराय के बलिया थाने की पुलिस ने 'SIR' पर मेरी रिपोर्टिंग के बाद मुझे फंसाने के लिए साजिशों का सहारा ले रही है. बलिया ब्लॉक में SIR के फॉर्म की अपलोडिंग के दौरान दिखी अनिमितताओं पर मेरी रिपोर्ट की वजह से मेरे खिलाफ पहले तो कई धाराओं में FIR दर्ज की गई और अब मुझे जानकारी मिली है कि बलिया के एक लोकल रिपोर्टर को मेरे केस में जबरन आरोपी बनाया गया है.
नोमान नाम के जिस रिपोर्टर को मेरे केस में एक्यूज बनाकर उससे जबरन BNS की धारा 35 (3) के तहत नोटिस और बंध पत्र पर दस्तखत कराया गया है, उससे मैं कभी मिला नहीं हूं. मेरा उससे कोई परिचय नहीं है. बलिया में रिपोर्टिंग के दौरान या उससे पहले नोमान नाम के इस रिपोर्टर से मेरी कभी कोई बातचीत नहीं हुई थी. फिर उस रिपोर्टर को किस मंशा से मेरे केस में एक्यूज बनाया जा रहा है?
रिपोर्टिंग के वक्त या उससे पहले नोमान नाम के रिपोर्टर से मेरी कोई बात नहीं हुई, ये सब मेरे या उसके कॉल रिकॉर्ड से साबित हो सकता है. नोमान ने कहीं से मेरा नंबर लेकर मुझे फोन किया और पूरे मामले की जानकारी दी. उसी ने मुझे बताया है कि पुलिस ने नोटिस पर जबरन उससे दस्तखत कराया है.
मेरी रिपोर्टिंग से जिसका कोई लेना-देना नहीं, उसे मेरे साथ केस में आरोपी बनाने के पीछे पुलिस की मंशा आखिर क्या हो सकती है? मैं इस जांच में पुलिस को पूरी तरह से सहयोग देने को तैयार हूं. फिर बलिया पुलिस के अधिकारी ये सब क्यों कर रहे हैं? इसके पीछे कोई न कोई साजिश है, ताकि मुझे फंसाया जा सके.
बलिया पुलिस के जांचकर्ता के फ़ोन आने पर मैं ख़ुद बेगूसराय जाकर उनसे मिला था. मैंने नोटिस भी रिसीव किया और जांच में हर तरह का सहयोग करने की बात कहकर बेगूसराय से लौटा. मैं कायदे-क़ानून का पालन करने वाला आदमी हूं. जांच के क्रम में पुलिस जब भी बुलाएगी, मैं हाजिर हो जाऊंगा, लेकिन बलिया के पुलिस अधिकारी किस मंशा से ये सब कर रहे हैं?
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