सर्वे का सच: एजेंसियां राजनीतिक दलों से पैसे लेकर फर्जी सर्वे करती हैं और तमाम न्यूज़ चैनल उनके पक्ष में माहौल बनाते हैं
🔖 मो. ज़ाहिद
आपको पता है कि सर्वे एजेंसियों का खेल क्या होता है? अधिकांशतः कंपनियां राजनीतिक दलों से पैसा लेकर उनके पक्ष में सर्वे करती हैं और शेष अंजना, नाविका, चित्रा और रूबिका जैसे एंकर और ऐंकरानियां, सैकड़ों चैनल और उनके वेबपोर्टल उस सर्वे एजेंसियों का स्क्रिप्टेड सर्वे दिखा कर किसी विशेष पार्टी के पक्ष में हवा बनाते हैं।
अभी आपने देखा होगा, एक विदेशी वेबसाइट मार्निंग कंसल्ट का सर्वे जिसका सैंपल साइज़ कुल 2 हज़ार का होता है, नरेंद्र मोदी को उसी 2 हज़ार लोगों के मत से दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता करार दिया, वह हर थोड़े दिन पर करता रहता है!
अब नरेंद्र मोदी की देश में लोकप्रियता गिरी और चुनाव आयोग से सांठगांठ करके चुनाव जीतने के उन पर आरोप लगे तो यशवंत देशमुख का सी- वोटर एक सर्वे लेकर आ गया "Mood of the Nation" उसमें भाजपा को 2024 से अधिक सीट, मोदी को सबसे लोकप्रिय और बिहार में NDA को 136 सीट दिखाने लगा।
यह पूरा खेल पैसे देकर खेला जाता है और यह मैं नहीं खुद यशवंत देशमुख ने फरवरी 2014 में एक स्टिंग ऑपरेशन में कहा था। दरअसल उस दौर में विनोद कापड़ी और निशांत चतुर्वेदी एक चैनल "News Express" में पत्रकारिता करते थे, जिन्होंने एक स्टिंग आपरेशन "Operation Prime minister" के तहत सी-वोटर में स्टिंग ऑपरेशन किया और पूरा कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया।
ऐसे झूठे सर्वे एक ओपिनियन बनाते हैं, लोगों के बीच नरेटिव बनाते हैं, इसलिए इन पर विश्वास करना मूर्खता होगी, मगर देश में जस्टिस मार्कंडेय काटजू के अनुसार 90% मूर्ख हैं तो किसे रोका और समझाया जा सकता है?
फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बन गई और News Express बंद हो गया मगर सी-वोटर हर 6 महीने में यह काम करता रहा है। इनका यही काम है।
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