Tuesday, September 9, 2025

पूरा देश रील्स में मग्न है, सबको बस लाइक्स और कमेंट चाहिए, जो इससे मुक्त है-वह चिंतित है कि अगला मंदिर कहां बनेगा !


🔖 डॉ नदीम अख्तर

पूरा देश रील के सैलाब में डूबा हुआ है। हर किसी की कला कूद-कूदकर बाहर आ रही है। किसी को पैसा कमाना है तो किसी को शोहरत और पैसा दोनों। अंग्रेजों ने थर्ड वर्ल्ड ( इसे थर्ड क्लास ना पढ़ें) कंट्रीज़ को रील के रूप में अफीम चटा दी है। वहां ज्ञान विज्ञान की बातें कोई नहीं करता। सब अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। 


कोई छत से कूद रहा है, कोई लड़की छेड़कर उसे प्रैंक का नाम दे रहा है, कोई अश्लील जोक सुनाकर मशहूर होना चाह रहा है, आम लड़कियां घर बैठे उर्फी जावेद बनना चाह रही हैं, कहीं बाप-बेटी और पूरा परिवार साथ नाचकर आपसे लाइक्स वाले पैसे मांग रहा है, कहीं फर्जी वैद्य सभी बीमारियों का इलाज कर रहा है, कहीं पेट की चर्बी कम करने के आसन बताए जा रहे हैं, कहीं पौष्टिक भोजन के मंत्र सुनाए जा रहे हैं, कहीं इतिहास का फर्जी दर्शन परोसा जा रहा है, कहीं जीवन का मर्म बताया जा रहा है और कहीं बहुत कुछ हो रहा है। लिख नहीं सकता। 


बस, सबको लाइक्स और कमेंट चाहिए। सभी क्रिएटर हैं। लेकिन कौन क्या क्रिएट कर रहा है, इसकी परवाह और पड़ताल किसी तरफ से नहीं। सरकार मस्त है, जनता अस्त है। यहां कोई तकनीक का मास्टर बनकर बिल गेट्स या स्टीव जॉब्स बनने की चाहत नहीं रखता। सबको सस्ते माल से एंजॉय वाला पैसा कमाना है। अंग्रेजों के बनाए घोड़े पर चढ़कर। रील की सवारी करके। 


घर की बहू बेटियां कैसे कैसे डांस और करतब दिखा रही हैं और इस पे हमारा बीमार समाज कैसे कैसे कमेंट कर रहा है, इससे पता चलता है कि हमारा समाज पतन की कितनी परतों को पारकर कितने नीचे धंस चुका है। 


अभी एक वीडियो देखा, जिसमें एक गुजराती युवती अमेरिका के किसी स्टोर में जाकर चोरी करते पकड़ी गईं। अच्छे घर की अंग्रेजी बोलने वाली युवती। साइकोलॉजी में देखें तो ये उसके लिए बहुत नॉर्मल बात रही होगी। रील कल्चर में सब कुछ फन है। मज़ा है। हर कोई एंटरटेन करना चाह रहा है। तो चोरी से भी एंटरटेन कर दो। वरना भारत के समाज में दिनदहाड़े चोरी और वह भी अच्छे घर की लड़की के द्वारा, ये सोचा भी नहीं जा सकता था। 


रील कल्चर में अब कम समय में धनवान बनने का तरीका भी बताया जाता है। वह अदानी मॉडल को फॉलो करने की बात करते हैं। कोई ट्रंप को कामयाब बिजनेसमैन बताता है, जिसने पॉलिटिक्स बदल दी। मतलब कुछ भी बोल दो और जनता लाइक्स की बरसात कर देती है। हमारी रील कल्चर में डूबी नई पीढ़ी पर दो तरफ से हमला है। एक रील का और दूसरा hashtag AI का। 


दोनों उनकी बुद्धि कुंद कर रहे हैं। भारत सॉफ्टवेयर में कोडिंग तक तो जीत गया पर एआई की दौड़ में बुरी तरह पिछड़ गया है। इसकी नई पीढ़ी पढ़ाई से दूर और रील के पास है। अब AI उसकी पढ़ाई में जवाब देने का साधन है। उसके अधकचरे जवाब को वह सही मानकर किताब खोलने की मेहनत नहीं करना चाहता। भारत के स्कूलों और यूनिवर्सिटीज को AI को लेकर एक ठोस नीति बनाने की ज़रूरत है। फिलहाल तो सब AI AI कह के पागल हुए जा रहे हैं, जो कोढ़ में खाज है। 


हमेशा की तरह सरकार सोई हुई है और अयोध्या के बाद अगला मंदिर कहां बनेगा, बुजुर्ग नेता इसकी तरफ सार्वजनिक इशारा कर रहे हैं। ये देश का फोकस है। और मुकाबला हम चीन और अमेरिका से करने की बात करते हैं। हालात भयावह हैं और हमको अगर इसकी खबर भी नहीं तो ये और भी भयावह है।

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