हमारी, आपकी, सबकी आवाज

देश की दो बड़ी न्यूज़ एजेंसी UNI और PTI के बीच की प्रतिस्पर्धा, नोक-झोंक और मजेदार यादें

प्रभात डबराल

वैसे तो UNI के मुक़ाबले PTI हर हिसाब से कहीं बड़ी समाचार एजेन्सी है लेकिन दोनो में काम करने वाले पत्रकार और ग़ैर पत्रकार कामगारों के बीच की स्पर्द्धा  पर एजेन्सी के बड़े छोटे होने का कोई ख़ास असर नही पड़ता- वो अपनी जगह बरकरार है. 


इसी स्पर्द्धा के चलते वो मज़ाक़ उपजा था जिसका ज़िक्र मैने कल किसी और संदर्भ में किया था. ये जोक एक बार फिर पढ़ लीजिए:


UNI ने टैग लाइन बनाई

UNI: alway fast with news..,

PTI वालों ने इस टैग लाइन का मज़ाक़ उड़ाया 

UNI: always fast with news

And faster with correction 


दोनों एजेंसियों के बीच की नोक झोंक का एक नमूना और देखिए. UNI छोटी एजेन्सी भले ही रही हो उसकी कैंटीन का एक जमाने में बड़ा नाम था. यहाँ के दक्षिण भारतीय व्यंजन बहुत मशहूर थे. हम तो बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग से यहाँ चले आते थे. ज़बर्दस्त कैंटीन थी. हमेशा भरी रहती थी.


लेकिन PTI की कैंटीन कभी भी अच्छी नही रही. इसलिए PTI वाले भी अक्सर UNI की कैंटीन में ही दिखते थे. अस्सी के दशक में PTI बिल्डिंग का रेनोवेशन हुआ तो कैंटीन भी चमक गयी.


UNI वालों ने ताना मारा

So, PTI runs a canteen..

PTI वालों ने नहले पर दहला मारा

And a canteen runs the UNI


UNI कैंटीन के मालिक, नाम भूल रहा हूँ, 1989 में दिल्ली में हुए बम विस्फोटों में से किसी एक की चपेट में आ गए थे. हफ़्तों तक अस्पताल में रहे.


UNI कैंटीन की एक ख़ासियत ये भी थी कि वहाँ छिपाने का नाटक करते हुए “द्रव्य” का सेवन भी किया जा सकता था. PTI में इस काम के लिए बिल्डिंग के पीछे रखे एक बड़े से तख़्त का इस्तेमाल करना पड़ता था. शौक़ीन लोगों को UNI वाला ठिया अच्छा लगता था. ये तीस पैंतीस साल पुरानी बातें हैं.