➤ दीपक असीम
भाइयो-बहनो मैं एक पत्रकार हूं और पत्रकार कभी पत्रकार के पेट पर लात नहीं मारता। इतने महीनों से मेरी बिरादरी के लोग सुशांत सिंह राजपूत की मौत का असली कारण नहीं बता रहे। मैं वैसे तो बिरादरी की तरफ रहता हूं, मगर अब मुझे आप लोगों पर दया आ रही है इसलिए मैं आपको असली ही नहीं सबसे असली कारण बताने जा रहा हूं। मेरी गुज़ारिश है कि दिल थाम कर बैठ जाइये। असली कारण सुन कर आप भी हिल जाएंगे।
मैंने बतौर एक इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट जो खोज की है, उसके पक्ष में तमाम आंकड़े हैं, गवाहियां हैं, फोरेंसिक रिपोर्ट है। और तो और दुनिया के तमाम प्राचीनतम ग्रंथ तक मेरी खोज के पक्ष में मैं पेश करने वाला हूं। अब मैं ज़िक्र करने वाला हूं एक अहम चीज़ का जिसे हमारे यहां राई भी कहते हैं और सरसों भी। अंग्रेजी नाम मस्टर्ड है। अब जो मैं कहानी राई के संबंध में सुनाने जा रहा हूं उसका सुशांत की मौत से गहरा संबंध है। भगवान बुध्द के पास एक बूढ़ी औरत गई। उसका बेटा मर गया था। बुढ़िया ने कहा आप चमत्कारी पुरुष हो, मेरे बेटे को जिंदा कर दो। बुध्द ने कहा जिंदा कर दूंगा, मगर एक मुट्ठी सरसों ऐसे घर से लेकर आ जिस घर का कोई मरा ना हो। कलाम पाक में कहा है कि इंसान मरता है, तो हश्र के दिन हम उसे उठाते हैं और हिसाब करते हैं। इस हिसाब से सुशांत सिंह राजपूत का भी हिसाब होगा और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। मगर आप कलेजा पकड़ कर बैठिए हम आपको अभी बताए दे रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत का सबसे असली कारण क्या है।
वो सरसों वाली बात आप याद रखिएगा, उससे सुशांत की मौत का संबंध मैं बाद में स्थापित करूंगा जैसा कि फिल्मों में वकील करते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि आत्मा अमर है। शरीर चोला है। इस हिसाब से देखा जाए तो सुशांत मरा ही नहीं है। दूसरे किसी शरीर में जीवित है। उसका पुनर्जन्म कहां हुआ हम यह नहीं बताएंगे क्योंकि यह बताना हमारा काम नहीं, टीवी जर्नलिस्टों का काम है। इंडिया टीवी, आज तक, जी टीवी, रिपब्लिकन टीवी आपका आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ाने के लिए जो काम कर रहे हैं, सुशांत का पुनर्जन्म उन्हीं के अंडर आता है। बहरहाल आप वो एक मुट्ठी सरसों को मत भूलिएगा।
मुंबई के जिस इलाके में सुशांत सिंह राजपूत रहता था, उस इलाके के श्मशान घाट का रजिस्टर एक अहम गवाह है। सुशांत सिंह के पुराने रिश्तेदार जो मर चुके हैं, उनका संबंध भी इस मौत से है। आइये अब आपको ज्यादा सस्पेंस में नहीं रखते हुए हम बताते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत का सबसे असली कारण क्या है। मगर एक और मिनिट आपका और लूंगा। आइये हम फिर उसी एक मुट्ठी सरसों पर लौटते हैं। बुध्द ने उस बुढ़िया से कहा कि उस घर से सरसों लेकर आओ जिस घर का कोई आदमी मरा ना हो। बुढ़िया शाम को वापस आई। कहने लगी लोग सरसों की गाड़ी देने को तैयार हैं, मगर मरा हर किसी के घर में कोई ना कोई है।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत का पहला कारण है मौत की परंपरा। उनके घर में जितने भी लोग पैदा हुए सब एक खास उम्र के बाद मर गए। उनके घर में जितने भी लोग पैदा हुए सभी को आग-पानी से खतरा था और ऊंचाई से गिरने पर मर सकते थे। इतना ही नहीं सांस रुकने से भी मरने का रेकार्ड उनके घर का है। अब आते हैं उस इलाके पर। श्मशान घाट का रजिस्टर बताता है कि उस इलाके में रहने वाले लोग अकसर मर जाया करते हैं। बूढ़े होकर, एक्सिडेंट से, आत्महत्या से...। उस इलाके में रहने वाला हर आदमी मरने का मटेरियल ही है।
तो सुशांत सिंह राजपूत की मौत का असली कारण है कि वे जिंदा थे। अगर वे जिंदा नहीं होते तो नहीं मरते। मिसाल के तौर पर न्यूज़ चैनलों ने उनका जिक्र कर करके उन्हें अमर कर दिया है। अब वे नहीं मर सकते। अब गांधी नहीं मर सकते, नेहरू नहीं मर सकते, सुशांत भी नहीं मर सकते। मरते वो हैं जो ज़िंदा होते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की सबसे बड़ी गलती यही है कि वे जिंदा थे। अगर वे पहले ही मर गए होते तो फिर आत्महत्या या हत्या से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। बुध्द ने बुढ़िया से कहा कि जो पैदा होता है, मरता ही है। बुढ़िया ने बुध्द के चरणों में सर रख दिया। आप भी रख दीजिए।