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हिंदुस्तान की सबसे हाई प्रोफाइल मर्डर मिस्ट्री में से एक है पंजाब के मशहूर गायक चमकीला और उसकी बीवी की हत्या का रहस्य

कृष्णा रूमी

चमकीला एक बेहद गरीब दलित परिवार से निकला लड़का था, बहुत ही कम उम्र में वो अपने गाँव से लुधियाना चला गया था एक कपड़ा मिल में काम करने, लेकिन उसको शौक था संगीत का, वो तुम्बी बहुत बढ़िया बजा लेता था, और गाने लिखता भी जोरदार देसी टच के साथ था, जबकि उस समय उसकी उम्र सिर्फ 16 साल थी ! 


.उसे किसी ने बताया की यहां लुधियाना में एक ही बंदा है जो इस फील्ड में तेरे को बड़ा आदमी बना सकता है और वो आदमी था उस समय का मशहूर लोकसंगीत म्यूजिशियन सुरिंदर शिंदा। सुरिंदर शिंदा ने चमकीला को सुना तो उसे लगा की लड़के में दम है और इतनी कम उम्र में जो टैलेंट है उसे अगर सही दिशा मिल गयी तो ये लड़का कमाल कर सकता है। सुरिंदर शिंदा ने उसे अपनी टीम में रख लिया। 


यहां से चमकीला ने सुरिंदर शिंदा के लिए काफी काम किया और उनके साथ दुबई, अमेरिका वगैरह कई जगह टूर किया म्यूजिकल ग्रुप के हिस्से के तौर पर। अब चमकीले की चमक संगीत जगत के लगभग हर व्यक्ति को दिखाई देने लग गयी थी, सभी को यकीन हो चला था की इस लड़के को पंजाब के ग्रामीण समाज की जो समझ है और उसे जैसे ये शब्दों में ढाल पाता है और तुम्बी पे उतार पाटा इसकी मिसाल दूसरी कोई नहीं है !


बस फिर क्या था, उस दौर के बड़े बड़े पंजाबी गायकों ने उसे इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, के दीप(बाबा वे कला मरोड़), मोहम्मद सादिक(रणजीत कौर के साथी गायक), और खुद सुरिंदर शिंदा ने चमकीले की चमक अपने कई गानों में डाली। अब चमकीला के लिखे हुए गीत बाकी बड़े संगीतकार इस्तेमाल करने लगे थे, और उन्हें जबरदस्त कामयाबी मिलने लग रही थी।चमकीला पिंड दे गीतों के एक्सपर्ट बनते नज़र आ रहे थे आने वाले समय में। 


चमकीला एक बेहद गरीब परिवार से आते थे, इसलिए उन्हें ये शोहरत बिना पैसों के सही नहीं लग रही थी, क्यूंकि उनकी बीवी और दो बेटियों के साथ घर चलाने के लिए जो पैसे चाहिए थे वो गीत लेखन से नहीं बन पा रहे थे।इसलिए उन्होंने गाने गाना भी शुरू कर दिया ! उन्होंने 19 साल की उम्र में सुरिंदर सोनिया के साथ 8 गाने रिलीज़ किये, जो काफी कामयाब रहे। 


चमकीला और सुरिंदर सोनिया का पहला ही गीत "टकुए ते टकुआ" जबरदस्त हिट हुआ और आज भी चमकीला के सबसे बेहतरीन गीतों में से जाना जाता है। jazzyB ने इस गीत को कई साल बाद गाया था और वो गाना भी बहुत हिट हुआ था। फिर 20 का होते ही उन्होंने सुरिंदर का ग्रुप छोड़ दिया और फिर कुछ महीने मिस उषा के साथ गीत गाने के बाद उन्हें साथ मिला एक ऐसी गायिका का जिसके साथ की वो अपनी ज़िन्दगी के ज्यादातर गीत बनाने वाले थे। 


मशहूर गायक कुलदीप मानक ने चमकीला के गीत सुन रखे थे और उनके हिसाब से चमकीला पंजाबी संगीत का एक उभरता हुआ सितारा था जिसे की पंजाबी कल्चर की अच्छी समझ थी, इसलिए जब उन्हें पता चला की चमकीला ने सुरिंदर शिंदा का ग्रुप छोड़ दिया है तो कुलदीप मानक ने चमकीला को एक लोकगीत सिंगर से मिलवाया जिसका नाम था अमरजोत कौर, जिसने की कुलदीप मानक के साथ पहले कुछ लोकगीत गाये हुए थे। 


अमरजोत कौर पहले से शादीशुदा थी और बहुत ही अमीर परिवार से आती थी, लेकिन उन्होंने संगीत के क्षेत्र में अपना नाम कमाने के लिए अपनी पति और ससुराल को छोड़ दिया था ! अमरजोत और चमकीला ने फिर बाद सैकड़ों गाने गाये और ज्यादातर हिट रहे। इन गानों में ज्यादातर गाने डबल मीनिंग के रहा करते थे, या suggestive रहा करते थे, लेकिन ऐसे गीतों के अलावा भी उन्होंने एक से एक बेहतरीन गीत निकाले थे, जिनमे उनका सबसे मशहूर गीत "पहले ललकारे नाल मैं डर गयी थी", जोकि चमकीला और अमरजोत का आजतक भी सबसे ज्यादा बजने वाला गाना है। 


इसके अलावा उनका ट्रक वालों का फेवरेट गीत "ड्राइवर रोक गाडी" भी जबरदस्त हिट था, साथ ही "कन कर गल सुन मखना", और उनका सबसे ज्यादा कॉपी हुआ गीत "जट्ट दी दुश्मनी" भी था, जिसको की लगभग 2-3 हज़ार लोगों ने गा लिया होगा आजतक ! चमकीला और अमरजोत की जोड़ी इतनी हिट हो गयी की उनकी एक दिन में एक से ज्यादा बुकिंग रहा करती थी shows के लिए !


इस समय उनकी पॉपुलैरिटी गुरदास मान, कुलदीप मानक, मोहम्मद सादिक और खुद उनके गुरु रहे सुरिंदर शिंदा से भी ज्यादा हो गयी थी ।चमकीला अपने हर शौ के लिए उस समय पर 4000 रुपये लिया करते थे जोकि तब के हिसाब से बहुत ज्यादा थे ! यानी वो 80s में लाख से ऊपर रुपये कमा रहे थे महीने के !


पूरी इंडस्ट्री में तहलका मच गया था चमकीला की शोहरत और कमाई से।लेकिन फिर 1984 में भिंडरावाले को भारतीय आर्मी ने मार गिराया था, और इंदिरा गांधी को उनके ही गार्ड्स ने और उसी साल सिख विरोधी दंगे हो गए थे, और पंजाब पूरी तरह से जलने लग गया था। 1985 तक ये हाल हो गया था की चमकीला को खालिस्तान से धमकियाँ आने लग गयी थी की अपने ये डबल मीनिंग गाने बंद करो वरना जान से मार दिए जाओगे !


1985 में ही चमकीला को गोल्डन टेम्पल बुलाया गया और समझाया गया की इस तरह के संगीत की बजाय धार्मिक गीत निकालें क्यूंकि युवाओं में उनकी अपील बहुत ज्यादा है। चमकीला ने फिर 3 एल्बम निकाली जो पूरी तरह से धार्मिक थी, हालांकि इनमे से एक के भी लिरिक्स चमकीला ने नहीं लिखे थे क्यूंकि ये उनका genre ही नहीं था, लेकिन इनके गाने भी जबरदस्त हिट रहे थे ! 


बाद में उसी साल चमकीला ने अमरजोत से शादी भी कर ली थी, क्यूंकि दोनों ही नहीं चाहते थे की उनकी ये जोड़ी टूटे, क्यूंकि दोनों एकदूसरे को अपनी कामयाबी का कारण मानते थे। 1987 में पहली बार किसी फिल्म (पटोला) में उनका गाना आया था जिसमे वो और अमरजोत दोनों थे, चमकीला को दूरदर्शन ने भी invite किया और एक गाने का वीडियो उन्होंने दूरदर्शन के लिए भी बनाया था 87 में ही। लेकिन फिर 1988 में एक प्रोग्राम में जाते समय मोटरसाइकिल से आये उग्रवादियों ने चमकीला और अमरजोत को AK47 की गोलियों से भून डाला। 


अब इस ह्त्या पर कई कांस्पीरेसी थेओरिएस हैं की उन्हें किसने मरवाया था, पुलिस के हिसाब से इस ह्त्या में खालिस्तान का बहुत बड़ा हाथ था। वहीँ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वो लोग अमरजोत को मारने आये थे, जबकि चमकीला और बाकी लोग साथ में होने की वजह से मारे गए, इस थ्योरी के पीछे कारण ये दिया जाता है की लोगों ने अमरजोत को ही पकड़ के गोलियां मारनी शुरू की थी, और चमकीला चाहता तो भाग सकता था क्यूंकि वो लोग अमरजोत के ही सीने में गोली मारने में व्यस्त थे, फिर जब ढोलकी फेंककर चमकीला उनकी तरफ बढ़ा तब उसे गोली मारी गयी थी, जबकि गिल को तो उन्होंने ये भी कहा था की भाग जा, लेकिन गिल के हाथ पाँव फूल गए और वो उनके पाँव के लिपटा रहा इसलिए उसे गोली मार गए थे। 


इसी कारण लोगों का मानना था की अमरजोत के ससुराल वालों का काम हो सकता है ये हॉनर किलिंग का ! तीसरी थ्योरी ये है की जिस तरह से चमकीला पंजाबी म्यूजिक को एकतरफा रूल कर रहा था तो उसके विरोधी कलाकारों का भी काम हो सकता है, या किसी विरोधी रिकॉर्डिंग कंपनी का, लेकिन जो भी कारण हो, चमकीला की कहानी आज एक बड़ी कामयाबी की कहानी है पंजाबी म्यूजिक की, उन्हें पंजाबी संगीत का एल्विस प्रेस्ले कहा जाता है, क्यूंकि गायकी और तुम्बी बजाने के अलावा उनकी expertese थी स्टेज पर अदाकारी की, उनकी आँखें, उनके हाथ, सबकी मूवमेंट एक रॉकस्टार वाली थी। 


चमकीला की शोहरत इतनी ग़ज़ब हो गयी थी की वो श्रीदेवी की एक फिल्म में भी गाने गाने वाले थे ! उन्होंने 200 से ज्यादा गाने गाये, और अपने समय के (80-88) सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाले पंजाबी आर्टिस्ट थे। देश विदेश सब जगह उनके शो हुए थे। आज भी बहुत लोग उन्हें पंजाबी गानों का सबसे बड़ा स्टार मानते हैं। खासकर बब्बू मान और JazzyB के गानों में उनका बहुत ज्यादा प्रभाव दीखता है।