मोदी की मां को गाली की खबर देखकर अपने एक न्यूज चैनल वाले एंकर दोस्त की याद आ गई !
![]() |
हरिओम तिवारी का कार्टून |
🔖नदीम अख्तर
मेरे एक मित्र थे। कुछ सालों की बेरोज़गारी के बाद एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल में प्राइम टाइम एंकर बन गए। और छा गए। मित्र बीजेपी के पक्ष में एंकरिंग करने लगे। उनको कुछ जानने वालों ने कोसा होगा। मुझे फोन किया। क्या करें?
हमने कहा कि जब बेरोजगार थे, तो इनमें से कितनों ने आपकी सुधि ली थी? नौकरी करना है तो नौकरी कीजिए। बीजेपी कांग्रेस मत देखिए। ये देखना न्यूज चैनल के मालिक का काम है। मेरी बात सुनकर मित्र में जोश आ गया। बोले कि आपने सही कहा। नौकरी करूंगा। हमने कहा, बिल्कुल। ये दुनिया क्या बोलती है, इस पे ना जाइए। अपना जीवन ठीक करिए। भूखे पेट क्रांति या तो मूर्ख करते हैं या फिर महामूर्ख। मेरी बात सुनकर मित्र खुश हो गए।
कुछ दिनों बाद उन्होंने एक वीडियो भेजा। उसमें दिख ये रहा था कि कुछ लोग एक बड़े से पोस्टर पे छपे कुछ चेहरों को चप्पल जूतों से लताड़कर कालिख पोत रहे थे। पोस्टर पे टीवी न्यूज के नामी एंकर और एंकरनियों के चेहरे छपे थे। लोग उन्हें सरकार का दलाल बता कर उनपे जूते बरसा रहे थे। पोस्टर पे छपे चेहरों में से एक चेहरा मित्र का भी था।
वीडियो देखकर हमने मित्र को फोन किया। पूछा कि उनका ये सत्कार कहां किया गया है? मित्र हंसने लगे। बोले कि यूपी में फलां जगह। हमने पूछा कि ये लोग जो पोस्टर पे जूतों की बारिश कर रहे हैं, ये कौन हैं? मित्र फिर हंसे। बोले कि उसे जाने दीजिए। सरकार के दलालों में मेरा भी नाम शुमार हो गया है। और फिर ज़ोर से हंसे। हमने कहा कि आपकी ये ब्रांडिंग की किसने है? मित्र बोले कि हमारे भी चाहने वाले हैं। ये गाली नहीं, ईनाम है। ब्रांडिंग के लिए ये सब करना पड़ता है।
ना उन्होंने खुलकर कुछ कहा, ना हमने आगे पूछा। बस फोन रखते वक्त यही कहा कि आप सही रास्ते पे हैं। बदनाम हुए तो क्या नाम ना हुआ? सबको धूल चटा दी। अपना नाम पहले नंबर पे लिखवा लो। आज का प्राइम टाइम ऐसा करना कि अच्छे अच्छे शर्मा जाएं। आप पे जो जूते चले हैं, उसे अच्छे से जस्टिफाई करना। मित्र हंसे और बोले - जो हुकुम। और हमने फोन काट दिया।
आज जब बिहार में राहुल गांधी की सभा में माननीय प्रधानमंत्री की माता जी को अपशब्द कहने की खबर देख रहा हूं तो अचानक मुझे अपने मित्र की घटना याद आ गई। सो लिख दिया। धन्यवाद।
No comments:
Post a Comment