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सीएम हाउस को गंगाजल से शुद्ध कराने वाले योगी तो दलित परिवार से मिलेंगे नहीं, तो क्या कोई दूसरा भी उनसे न मिले?

उमाशंकर सिंह

आप पिछले रिकार्ड उठा के देख लीजिये। पिछले सालों में यूपी में जो भी चर्चित हुत्याएं हुई है उसके परिजनों को योगी जी सीएमओ बुलाकर मिलते रहे हैं। प्यार से या जबरदस्ती!  


हिंदू महासभा के लीडर कमलेश तिवारी की हत्या और उसके बाद के बवाल को याद कीजिये। तिवारी की बूढ़ी मां और परिजन तक को बुला के योगी जी से मिलवाया गया, जबकि वे सूतक होने के कारण धार्मिक कारणों से घर से बाहर जाने से मना करते रहे। बुलंद शहर के उग्र और लंपट हिंदुओं के दंगे में मारे गए इंसपेक्टर दिवंगत सुंबोध सिंह के भी घर वालों से वे मिले और उन्हें न्याय का आश्वासन दिया। ये अलग बात है कि सुबोध सिंह के हत्या के आरोपियों को जब बेल मिली तो उन्हीं के पार्टी के नेताओं ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया और वे चुप रहे। ऐप्पल के मैनेजर विवेक तिवारी को लखनऊ  में पुलिस वालों ने रात में तब एनकाउंटर कर दिया, जब वह अपने ऑफिस से घर आ रहे थे। योगी जी उनकी पत्नी और बच्चों से मिले। बड़ा मुआवजा दिए, क्लास वन की नौकरी दी,  उनका दुख बांटा। 

पर यहां हाथरस में वह न्याय, दंड जैसी तमाम बातें तो कर रहे हैं पर ना उनसे मिलने गए, ना ही उन्हें बुलाके उनका दुख समझा। कारण?? पीड़ित परविार की आर्थिक और सामाजिक हैसियत।। वे ठहरे उच्च कुल के योगी और पीड़िता हैं दलित। कैसे मिलें? अखिलेश यादव के कार्यकाल की लाख आलोचना कीजिये पर उनके बाद सीएमआवास में योगी जी के शिफ्ट करने से पहले गंगाजल से उसे धो के पवित्र किया था। 


सारी बातें ऑन द रिकार्ड हैं। पर गनीमत है कि हमारे देश में प्रियंका जैसी नेता भी हैं जो अपने कार्यकर्ता पर चल रही पुलिस की लाठी के सामने आ जाती है और पीड़ता की जाति नहीं, उसकी पीड़ा देखती है और गले लगा के कहती हैं माई! इस न्याय की लड़ाई में हम हैं आपके साथ।