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इटली की सबसे प्रसिद्ध पत्रकार ओरियाना फलाची को अपने महान और निडर राजनीतिक साक्षात्कारों के लिए जाना जाता है

➤अशोक कुमार पाण्डेय

ओरियाना फलाची इटली की सबसे प्रसिद्ध पत्रकार थीं। 1972 में उन्होंने हेनरी किसिंजर का इन्टरव्यू लिया था. कीसिंजर ने उसमें स्वीकार किया था कि वियतनाम युद्ध एक "व्यर्थ युद्ध" था. कीसिंजर ने अपनी तुलना एक ऐसे काउब्वाय से की थी जो अपने घोड़े पर सवार होकर अकेला एक वैगन ट्रेन का नेतृत्व करता है.


इस इन्टरव्यू की याद करते हुए बाद में कीसिंजर ने लिखा था: "प्रेस के किसी भी सदस्य के साथ हुआ वह मेरे जीवन का सबसे नष्टकारी साक्षात्कार था." ओरियाना फलाची पत्रकारिता की दुनिया में विश्वविख्यात नाम है. बाद के दिनों में वे अपने महान और निडर राजनैतिक साक्षात्कारों के लिए जानी गईं. उन्होंने जिन बड़े नामों के इन्टरव्यू लिए उनमें दलाई लामा, हेनरी कीसिंजर, ईरान के शाह, अयातुल्ला खोमैनी, विली ब्रैन्ट, ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो, गद्दाफ़ी, फ़ेदेरिको फ़ेलिनी, यासिर अराफ़ात, आर्चबिशप मकारियोस, गोल्डा मेयर, इन्दिरा गांधी, स्यौन कोनरी और लेख वालेसा प्रमुख रूप से शामिल हैं. ओरियाना ने उपन्यास भी लिखे और इस्लामी राजनीति की विशेषज्ञ के तौर पर उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली.


अयातुल्ला खोमैनी को ओरियाना ने खुलेआम तानाशाह कहा था और 1979 में तेहरान में इन्टरव्यू की इजाज़त देने से पहले खोमैनी के सिपहसालारों ने उनसे अपना सिर चादर से ढंकने को कहा था. इन्टरव्यू के दौरान उन की बातचीत का एक टुकड़ा बहुत विख्यात हुआ:


ओरियाना फलाची - "मुझे अभी आपसे बहुत कुछ पूछना है. मिसाल के लिए इस चादर के बारे में जिसे आपसे साक्षात्कार लेने के लिए मुझे पहनने को कहा गया था. ईरानी की औरतों को इसे पहनना ज़रूरी है. मैं फ़कत इस पोशाक की बात नहीं कर रही, मैं तो उन चीज़ों की बात करना चाहती हूं जिनकी तरफ़ यह संकेत करती है. यानी उस भेदभाव की तरफ़ जिसे ईरान की महिलाओं को क्रान्ति के बाद झेलना पड़ रहा है. वे पुरुषों के साथ विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ सकतीं, न उनके साथ काम कर सकती हैं. उन्हें अपनी चादर ओढ़े हुए यह सब अलग से करना होता है. आप मुझे बताइये आप चादर पहनकर स्विमिंग पूल में कैसे तैर सकते हैं?"


अयातुल्ला खोमैनी - "इस का आपसे कोई मतलब नहीं है. हमारी परम्पराओं को आपसे कोई सरोकार नहीं. अगर आप को यह इस्लामी पोशाक पसन्द नहीं है तो आप को इसे पहनने को कोई मजबूरी नहीं है चूंकि यह युवा स्त्रियों और सम्मानित महिलाओं के वास्ते है."


ओरियाना फलाची - "आपकी बड़ी मेहरबानी है इमाम साहब! सो मैं इस बेवकूफ़ी भरे मध्ययुगीन चीथड़े को अभी उतार फेंकती हूं."  इसके बाद ओरियाना ने उस चादर को उतार कर एक कुर्सी की तरफ फेंक दिया. लीबिया के त्रिपोली में 16 दिसम्बर 1979 को ओरियाना फ़ल्लाची ने मोअम्मर गद्दाफ़ी का एक इंटरव्यू लिया जिसके दौरान उन्होंने गद्दाफी और उनकी घटिया राजनीति को नंगा कर दिया था.


ओरियाना फलाची - "कर्नल, मैं चाहती हूं कि आपकी एक प्रोफ़ाइल तैयार करूं और मैं इसे एक तरह का मुकदमा चलाकर तैयार करना चाहूंगी, एक तरह का आरोपपत्र पेश करते हुए ताकि आपको समझ में आ सके कि आप को दुनिया में इतना कम पसन्द क्यों किया जाता है. वैसे क्या आपको मालूम है या मालूम था कि दुनिया में आपको किस कदर नापसन्द किया जाता है?"


गद्दाफ़ी - "मुझे वे लोग पसन्द नहीं करते जिन्हें लोग पसन्द नहीं किया करते हैं और वे भी जो स्वतन्त्रता के विरोध में हैं."


ओरियाना फ़ल्लाची - "मगर ज़रा देखिये न आपके बारे में क्या-क्या कहा जाता है ... हम्म्म, कहां से शुरू करें? सम्भवतः उस ख़ूनी अपराधी ईदी अमीन से आपकी दोस्ती. लोग पूछते हैं "कर्नल इस तरह के लोगों के दोस्त कैसे हो सकते हैं?"


गद्दाफ़ी - "क्योंकि अमीन इज़राइल के विरोध में हैं. क्योंकि वे पहले अफ़्रीकी राष्ट्रपति हैं जिनके भीतर अपने देश से इज़राइलियों को लात मार कर बाहर निकालने की हिम्मत थी."


ओरियाना फलाची - "अगर अपने लोगों का कत्ल-ए-आम करने वाला एक तानाशाह सिर्फ़ इस वजह से कर्नल गद्दाफ़ी की दोस्ती का पात्र बन जाता है कि वह यहूदियों से नफ़रत करता है, तो कर्नल गद्दाफ़ी चालीस साल बाद पैदा हुए हैं. आपको तो तब पैदा होना चाहिये था जब हिटलर यहूदियों को मार रहा था. हां, हिटलर की और आपकी बहुत पक्की यारी जमती."


इस वार से तिलामिला कर बेबस गद्दाफ़ी यह कह कर रह गया- "अब हालात फ़र्क हैं. आज यहूदी फ़िलिस्तीनियों की धरती पर काबिज़ हैं." इसी इन्टरव्यू में आगे जा कर मोअम्मर गद्दाफ़ी के राजनैतिक मैनिफ़ैस्टो का मखौल बताते हुए ओरियाना ने कहा था कि वह इतना छोटा है कि उनकी पाउडर पफ़ की डिबिया में अट जाएगा.


एक शानदार उपन्यास ‘इंशाअल्लाह’ की लेखिका का काम पढ़ लेने के बाद आजकल के ज्यादातर पत्रकारों का काम पाव भर दही से भरी प्लास्टिक की पन्नी से ज्यादा नजर नहीं आता. उन पत्रकारों के नैतिक साहस के बारे में कुछ नहीं कहूँगा. ओरियाना फलाची (29 जून 1929 - 15 सितम्बर 2006)