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सच हो या झूठ, कम से कम अर्नब ने मुफिलिसी के दौर में चैनल देखने के लिये पैसे बांटे तो सही!

फारुक़ अब्बास

बंबई से बड़ा खेल सामने आया है। टीआरपी का खेल। कहते हैं कि टीआरपी चुरा ली गई है। अर्नब की टीआरपी झूठी थी। अरे सब फर्जी है। कहे तो खिलाड़ी सब हैं बस अर्नब सिक्स मार गया। 


टीआरपी क्या होती है। सिंपल सा कांसेप्ट है कुछ चुनिंदा इलाकों में एक टीआरपी नापने बाला बक्सा लगाया जाता है जो यह पता करता है कि कौन सा चैनल कितने बजे किस घर में चला और कितनी देर चला, फिर बड़े—बड़े ज्ञानी धानी उस आंकड़े से टीआरपी का पता लगाता हैं। कुछ लाख घरों के से आए आंकड़े को पूरे देश का संभावित आंकड़ा मान लिया जाता है। ​और फिर नंबर 1 बनने की दौड़ शुरू हो जाती है।


अभी अपने पूंछता है भारत वाले अर्नब बाबू ने टीआरपी चुरा ली... कैसे? पुलिस कह रही है लोगों को चैनल खोल कर रखने के पैसे मिलते थे इसलिये अर्नब बाबू के चैनल की टीआरपी बढ़ गई थी। अर्नब कह रहे हैं ये झूठ है। अरे सच हो या झूठ कम से कम अर्नब ने मुफिलिसी में चैनल देखने के लिये पैसे बांटे तो सही। अब जब सब घर में बेरोजगार बैठै हैं और टीवी कमा के दे रहा है तो फिर इसमें बुरा क्या है। अर्नब सही है वाकी सब फर्जी हैं। 


कल नोट में चिप बताने वाली मैडम मुस्करा रहीं थीं.... मने खुल कर मुस्करा रहीं थीं। रोहित सरदाना दनदना रहे थे कि टीआरपी में खेल हुआ है। अरे कोई खेल नही हुआ रोजगार दिया है अर्नब बाबू ने। अर्नब सही है वाकी सब फर्जी हैं। रवीश रोजगार रोजगार चिल्लाते हैं सरकार को कोसते हैं, अर्नब तुम्हारी तरह नहीं हैं वो सरकार का इंतेजार नही करते, सीधे खुद ही रोजगार देते हैं। वो तो पूरे देश में टीआरपी बक्सा नही लगा वर्ना सबका टीवी कमा कर देता। लोग सुबह उठते, नाश्ता करते, अखबार पढ़ते, लंच करते, डिनर करते और सो जाते। कमा के टीवी देता। 


अर्नब की योजना दूरदर्शी थी। इस देश से बेरोजगारी मिटाने में मोदी जी की मदद कर रहे थे वो भी बिना बताऐ। यहां कोई दो रूपये की मदद करता है तो फेसबुक पर फोटो चेंप देता है। अर्नब ने कोई दिखावा किया? बताइये। नही किया न? अर्नब सही है वाकी सब फर्जी है।