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कोरोना बेहद खतरनाक है, महामारी को लेकर साजिश के दावे और मसालेदार कांसपिरेसी थ्योरियों से बचकर रहें

➤श्रवण यादव रतलामी

फ़्रांस और ब्रिटेन में कोरोना की दूसरी wave पहली wave से ज़्यादा ख़तरनाक और भयंकर होकर आ चुकी है। दूसरी wave में दर्ज हुए नए मामलों ने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। दूसरी wave में पॉज़िटिव मरीज़ों में ICU भर्ती की दर भी अभूतपूर्व है। और उम्मीद की जा रही है कि इस दूसरे wave की peak अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से पहले आने की कोई उम्मीद नहीं है। 


फ़ेसबुक पर थोक के भाव में ऊलजलूल conspiracy theory पेलकर, महामारी की विकरालता पर पर्दा डालते हुए आपदा में अवसर की तर्ज़ पर TRPखोरी करने वाले सोशल मीडिया के सिलेब्रिटी पत्रकारों, कार्टूनिस्टों, कुछ कथित स्वघोषित सोशल ऐक्टिविस्टों और बिस्वरूप चौधरी जैसे अपराधी ठगों के मुँह से शब्द तक नहीं फूट रहे। इन सोशल मीडिया के सिलेब्रिटी महानुभावों द्वारा WHO/ चीन/ बिल गेट्स/ फ़ोर्ड/ रॉकफ़ेलर फ़ाउंडेशन/ अदरक लहसुन इत्यादि न जाने कौन कौन से मसाले डाल कर तैयार गयी चटपटी मसालेदार कांसपिरेसी थ्योरियों पर भरोसा करने वाले न जाने कितने आम लोगों ने इस महामारी के दौरान मामले की गंभीरता को नज़रंदाज़ करते हुए, ज़रूरी सावधानियाँ न बरतते हुए ख़ुद को और दूसरों संक्रमित किया होगा। इस दौरान इन TRPखोर conspiracy सिद्धांतकारों ने हर नागरिक को मुफ़्त व स्तरीय चिकित्सा की बेहद ज़रूरी माँग से ध्यान भटकाने में भी अपनी सफल अपराधी भूमिका निभाई और पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के पूरी तरह चरमरा जाने की ढाँचागत व्यवस्थाजन्य परिघटना पर भी पर्दा डालने की भरपूर कोशिश की। 


ख़ैर भारत में तो पहला wave ही अभी peak से दूर है, और हालत इस क़दर ख़राब हैं। फ़्रांस और ब्रिटेन की तरह दूसरे wave आने के वक्त क्या हालत होगी इसकी कल्पना की जा सकती है। बाहर से प्रगतिशील प्रतीत होते इन शातिर TRPखोर सोशल मीडिया सिलेब्रिटीज़ ने यह अपराध अज्ञानतावश या मूर्खता वश किया या फिर शातिराना और सुनियोजित तरीक़े से जानबूझकर ये मैं नहीं जानता पर इन लोगों को मैं इस दौर के सामाजिक अपराधियों से कम नहीं मानता हूँ।