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पर्यटन पर डिस्काउंट और स्वास्थ्य सेवा पर प्रीमियम वसूली, कैसी है ये अजब पहेली?

➤देवेंद्र सुरजन

ताजमहल- मैरियट के कमरे 75 परसेंट तक सस्ते, चारधाम 40% कम दाम में। इस आलेख में होटल इंडस्ट्री की चर्चा थी ऐसे में बरबस ही हॉस्पिटल इंडस्ट्री के वर्तमान ट्रेंड पर ध्यान चला जाता है एक और होटल इंडस्ट्री डिस्काउंट दे रही है वही दूसरी ओर प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू रूम 7 से 10 गुना महंगे हो गए हैं। 


जानकारी के अनुसार शहर, प्रदेश और पूरे देश के मझोले स्तर के अस्पतालों में फरवरी 2020 में किसी भी आईसीयू कमरे का चार्ज उसके स्टैंडर्ड के हिसाब से ₹3 हजार से ₹10000 तक होता था। इन्हीं अस्पतालों में अब इसका चार्ज ₹25 हजार से ₹50000 तक वसूला जा रहा है। यही हाल मेडिकल जांच का भी है ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन, एमआरआई वगैरा-वगैरा सभी के रेट 3 से 5 गुना तक महंगे हैं। मेरे पहचान के व्यक्ति के चाचा अभी जबलपुर के ही एक अस्पताल में फेफड़ों के संक्रमण के इलाज के लिए भरती हुए। अस्पताल से छुट्टी होने पर उन्हें 2,25,000 का बिल थमा दिया गया यानि ₹ 45,000 प्रतिदिन का खर्च। 


गौरतलब है कि उनके इलाज में कोई महंगे पैकेज का इस्तेमाल भी नहीं किया गया। शहर ही नही पूरे देश में यही हाल चल रहा है। अभी का सारा ब्यौरा साधारण सर्दी जुखाम, वायरल बुखार बीमारी का है इन खर्चों में कोरोना वायरस के इलाज का विवरण शामिल नहीं है। 


खुलेआम चल रही इस लूट, नहीं लूट शब्द उचित नहीं है इसे डकैती कह सकते हैं पर सभी जिम्मेदारों ने अपनी आंखें बंद कर रखी है। अभी हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका पर सुनवाई चल रही है उम्मीद करिए कि वही प्रशासन को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करें। लेकिन तब तक तो यह तय है कि गरीब और मध्यमवर्गीय तबका पैसा होने पर या पैसा नहीं होने पर दोनों ही स्थिति में लूटता पिटता मारा जाएगा। हॉस्पिटल इंडस्ट्री ने अभी जिस तरह से आपदा को अवसर में बदला है उससे बरबस ही मध्यकाल के डकैतों की याद आती है जो धन दौलत और मनुष्य की जान सब  कुछ लूट लेते थे।