मीडिया ब्रेनवाश करता है, वास्तविक मुद्दों से भटकाता है, जब जनता का भ्रम टूटता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है
➤ पुनीत शुक्ला
किसी भी देश के लिये यह ज़रूरी होता है कि वहाँ के मीडिया और जागरुक नागरिकों द्वारा सरकारों की सतत आलोचना हो अन्यथा सरकारें तानाशाह, भ्रष्ट, कुछ विशेष समूहों/कार्पोरेट्स को फायदा पहुँचाने वाली हो जाती हैं। वे मीडिया के माध्यम आसानी से जनता का ब्रेनवाश करती हैं, वास्तविक मुद्दों से भटकाती हैं, जनविरोधी नीतियाँ और निर्णय बनाते हैं और विभाजनकारी एजेंडा चलाकर जनता को बाँट देती हैं।
जैसे मौजूदा सरकार ने ही कोरोना से निबटने में घनघोर लापरवाही किया। पहले बचाव की कोई तैयारी नहीं किया। फिर जब अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत पड़ी तो देश भर में दीपक/घण्टा करवा दिया। मजदूर भूखों मर रहे थे, पलायन कर रहे थे और देश में तब्लीगियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा था। सरकार की शह पर मीडिया द्वारा फ़ेक न्यूज़ चलाये जा रहे थे। उनकी लिस्ट अलग से निकल रही थी। जबकि उसी दौरान उससे बड़े आयोजन सत्तारूढ़ दल द्वारा किये जा रहे थे।
बाद में जब ख़बरों का खंडन होने लगा तो फिर अलग लिस्ट प्रकाशित करना बंद किया। अब कोर्ट ने भी कह दिया है कि तब्लीगियों को बलि का बकरा बनाया गया, उन्हें बदनाम किया गया। वे लॉकडाउन के कारण उस सेंटर में फँस गए थे। जबकि उनकी कोरोना फैलाने की कोई मंशा नहीं थी। लेकिन बेशर्मी इतनी है कि किसी ने माफ़ी नहीं माँगी और पूरी दुनिया में अपनी थू-थू करवाया।
इस समय देश अपने सबसे बुरे दौर में है। बेरोजगारी चरम पर है। सरकार ने बेरोजगारी आंकड़ा प्रकाशित करना ही बन्द कर दिया है ताकि लोगों को पता ही न चले। अन्य आँकड़े भी बताने से इनकार कर दिया। प्राइवेट सेक्टर में बहुत लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं और जिनकी बची हैं, उनको भी आधा वेतन मिल रहा है।
अंत में इतना ही कहना है कि सरकारें आएंगी और जाएंगी। वे अपनी असफलताएँ छिपाने का प्रयास करेंगी और जनता को साम्प्रदायिक अथवा जातीय आधार पर बाँटने का प्रयास करेंगी लेकिन सावधान रहना है और ऐसे किसी भी विभाजनकारी एजेंडे का शिकार नहीं बनना। सरकार किसी भी पार्टी की हो, उसके प्रति आलोचनात्मक दृष्टि बनाये रखना ज़रूरी होता है।जनता की एकता और जागरुकता ही देश और समाज को बचाएगी।
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