गरीब, दलित महिलाओं को 'ह' से हक़ पढ़ाने वाली अनिता आजाद 3 साल से कैद में क्यों हैं?
🔖 मनीष आजाद
एक अनुमान के मुताबिक इस वक्त जेल में करीब 30 हजार राजनीतिक कैदी हैं। जाहिर है इसमें अधिकांश छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, बिहार और जम्मू कश्मीर से हैं। इन्हीं में से एक हैं अनिता आजाद, जो पिछले 3 साल से लखनऊ जेल में अपने जीवनसाथी बृजेश आजाद के साथ कैद हैं।
अनिता जब 3 माह की गर्भवती थीं और अपने मायके रायपुर में थीं, तभी एक दिन यूपी एटीएस अनिता को गिरफ्तार करके लखनऊ जेल ले आयी। इस सदमे को अनिता बर्दाश्त नहीं कर पायीं और 2 माह बाद उनका गर्भपात हो गया। बात-बात पर खिलखिला कर हँसने वाली अनिता तभी से एकदम खामोश हो गयीं। बाद में हिमांशु कुमार जी काफी मेहनत करके इस मामले को मानवाधिकार आयोग तक भी ले गए, लेकिन जैसा कि अपेक्षित था, परिणाम कुछ भी नहीं निकला।
जेल में उनसे मिलने जाने के पहले मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगती है कि फिर से मुझे वह खामोश चेहरा देखने और कुछ पूछने पर हां हूं ही सुनने को मिलेगा, जिसका मै आदी नहीं हूं।
मेरे जेहन में आज भी वे बेहद सुखद दृश्य कैद हैं, जब बृजेश की साइकिल के पीछे बैठकर अनिता कच्चे पक्के रास्तों से गांव गांव जाया करती और बृजेश के साथ मिलकर दलित, गरीब औरतों/पुरुषों को संगठित किया करती थीं।
अनिता, बृजेश को देखकर मुझे ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले याद आ जाते। और यह संयोग ही था कि अनिता दलित, गरीब महिलाओं को देर रात पढ़ाने के लिए जो स्कूल चलाती थीं उसका नाम भी 'सावित्री बाई फुले स्कूल' था।
भ्रष्टाचार के राजनीतिक हथियार 'चुनावी बांड' के खिलाफ महाजंग के महानायक प्रो. जगदीप छोकर को नमन #JagdeepChhokar https://t.co/0G7V2uhlJA
— VOiCE OF MEDIA (@voiceofmedia1) September 12, 2025
स्कूल में जब 'ह' से हल से आगे जाकर 'ह' से हक़ भी पढ़ाया जाने लगा तो राज्य की तिरछी नज़र इस पर पढ़ने लगी। दलित महिलाओं को रात के अंधेरे में उनके हक का उजाला देने वालों को राज्य कैसे बर्दाश्त करता।
पंजाब किसान आंदोलन के दौरान अनिता और बृजेश राकेश टिकैत और दर्शन पाल के साथ यूपी चैप्टर में भी काफी सक्रिय थे। गांवों में अनिता/बृजेश द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जब भी मैं जाता था तो दोनों का जनता के प्रति और जनता का इनके प्रति प्यार देखकर बहुत सुखद अनुभूति होती थी। अनिता तो अक्सर ग्रामीण दलित,गरीब महिलाओं के साथ खुलकर हंसते/बतियाते हुए ही मिलती थी। और यही तस्वीर मेरे जेहन में घर कर गयी है।
राज्य राजनीतिक कैदियों को जेल में 'सड़ा' देना चाहता है, लेकिन वह इसमें शायद ही कभी सफल हो पाता हो। राजनीतिक बंदी वहां भी अपना सहज काम बरकरार रखते हैं, जिसे फॉदर स्टेन स्वामी 'मानवता के फूल खिलाना' कहते हैं।
अनिता/बिंदा के साथ महज 6 माह जेल में गुजारने वाली एक सामान्य महिला कैदी उनके बारे में मुझे यह मैसेज करती हैं-
I could not survive if they (Anita and Binda) were not there.. I'm so grateful for their love and support in my difficult time. I can’t thank them enough for their support with specific situation. Their help made all the difference!
Thank you girls my soul-sistets for always being there when I need a hand. Your generosity and care never go unnoticed. People like you make the world a better place. My only pray for them to get bail as early as pissible...