Wednesday, November 4, 2020

क्या अपराधी अर्नब को इसलिए छोड़ दिया जाए क्योंकि वो एक खास पार्टी के लिए सुपारी पत्रकारिता करता है?

 ➤कुंदन शशिराज

ये कलियुग है, अब कर्म की गति तेज हो चली है । अरनब  की गधा सुताई उसी के कर्मों का परिणाम है। नैतिक, अनैतिक, मानवाधिकार और पत्रकारिता मूल्यों की दुहाई देने वाले अपने काल्पनिक उच्च मानदंडों वाली किताब में और  शब्द  ढूंढते रहें लेकिन सच तो यही है कि कर्म जब सज़ा देता है तो एकदम नाप तौल कर और उसी तरह देता है, जैसे दिया जाना चाहिए। 


सुशान्त ने कोई सुसाइड नोट नहीं लिखा था लेकिन इस कॉकरोच गोस्वामी ने अपनी कपोल कल्पना में रिया को सुशान्त का हत्यारा और ड्रग पैडलर सब बना दिया। अब देखिए कर्म की गति, खुद इस गोबर गोस्वामी का नाम एक हत्यारे के तौर पर 2 साल पहले एक  खुदकुशी की चिट्ठी में लिखा गया था। बाबू साहब कॉक्रोच गोस्वामी ने तत्कालीन बीजेपी सड़कार (फडणवीस) के साथ सेटिंग कर के मामला रफा दफा करवा लिया था। लेकिन कर्म की गति और उसका चक्रव्यूह आपको कैसे घेरेंगे ये बात अच्छे से अच्छे ज्योतिषी भी नहीं जानते।


2020 में सुशान्त ने खुदकुशी की और इस कॉकरोच ने इसे एक नोट छापने के मौके के तौर पर देखा। पत्रकारिता के सारे सिद्धांत को ताक पर रखकर इसने विच हंटिंग की। रिया को जेल तक भिजवा के माना। अब इसके साथ भी वही सब कुछ तो हो रहा है। अब इसने उस इंटीरियर डिज़ाइनर को खुदकुशी के लिए उकसाया हो या न उकसाया हो लेकिन अब ये कॉक्रोच खुद भी एक खुदकुशी केस में ही फंसा है।


वहाँ तो सुशान्त ने न तो कोई सुसाइड लेटर लिखा था, न किसी का नाम छोड़ा था। लेकिन यहां तो इसका नाम साफ साफ लिखा है। क्या अब इस अपराधी को इसलिए छोड़ दिया जाएगा क्योंकि ये एक खास पार्टी के लिए सुपारी पत्रकारिता करता है।


कर्म का दूसरा खेल : अगर रिपब्लिक tv का नेटवर्क किसी और बीजेपी शासित राज्य में होता तो ये कॉक्रोच फिर भी बच जाता। लेकिन इस कॉक्रोच को कर्मों की सज़ा मिलनी थी, इसलिए महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार से बाहर भी हुई और बीजेपी का उद्धव से छत्तीस का आंकड़ा भी हुआ। 

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कर्म का तीसरा खेल : पूरे देश को अपने पप्पा का प्लेग्राउंड समझ कर हर जगह हगने के शौकीन हो चले कॉक्रोच गोस्वामी ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना मोबाइल निकाल लिया। सोचा यहीं से लाइव कर के और हीरो बनूंगा।  कोर्ट ने ऐसा हड़काया कि इसने अपने पैनल पे किसी और को क्या ही इस तरह हड़काया होगा। कहते हैं कि जज ने जब अर्णब को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के नाम पर डांटा तो अर्णब की सारी सिट्ठी पिट्टी गुम हो गई। ये कर्म का वो तीसरा खेल था जिसमें अपने पैनल पर आने वाले गेस्ट को अपनी एजेंडा पत्रकारिता के तहत बेइज़्ज़त करता था। आज वो सारा हिसाब किताब एक बार में चुकता  हो गया। कॉकरोच को सबके सामने डांटा गया और यहां pcr में उसके लोग तो थे नहीँ कि जज का ऑडियो डाउन कर देते


कर्म का तीसरा खेल : अर्णब ने रिया को निशाने पर लेकर उसके साथ विच हंटिंग की। उसे अपनी मर्ज़ी से हत्यारा करार दे दिया। खुद ही जज बनकर उसके इंटरव्यू पर सवाल उठाने लगा। अब इसी 2 कौड़ी के गोबर गोस्वामी पर एक महिला कांस्टेबल ने गिरफ्तरी के दौरान बदतमीजी करने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ एक और केस दर्ज किया है। केस सच्चा हो या झूठा, लेकिन अब इस गोबर सम्राट को ये अहसास होगा कि झूठे मामले में लिथड़े जाने का मज़ा क्या होता है !.


कर्म सर्वोपरि है ! इससे उपर कुछ नहीं ! आप खुद सोचिए कि 2 महीने पहले अपने चैनल पे रिया रिया और ड्रग ड्रग चिल्लाने वाले अर्णब ने सपने में भी नही सोचा होगा कि एक दिन वो गिरफ्तार होगा और रिया अपने घर पे बैठ के उसका लाइव अपडेट देखेगी !

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