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'मजबूत इच्छाशक्ति और जिजीविषा वाली विनीता को पत्रकारिता में अभी काफी आगे जाना है'

यशवंत सिंह

आज, 2 अक्टूबर विनीता जी का बड्डे है। दुर्योग से उनने अपना एफबी डीएक्टिवेट कर रखा है। जब वो एफबी पर फिलहाल नहीं हैं तो उनके बारे में लिखना बनता है। आलोचना मुंह पर और प्रशंसा पीठ पीछे!  


विनीता को मैं उन कुछ युवा पत्रकारों में शुमार करता हूं जिनका दिल दिमाग तेवर सरोकार निर्मित ही हुआ है पत्रकारिता करने के लिए। एबीपी न्यूज़, न्यूज़ नेशन समेत कई न्यूज़ चैनलों में खोजी पत्रकार के रूप में धाक जमाने वाली विनीता बहुत जल्द समझ गईं कि टीवी पत्रकारिता में अब सिर्फ सत्ता है, एजेंडा है, फिक्सिंग है,  चीख-चिल्लाहट, टीआरपी है। बस नहीं है तो सत्य नहीं है, जनता नहीं है, सरोकार नहीं है, शोध और खोज नहीं है। 


विनीता ने एक बड़ा निर्णय किया। टीवी की लखटकिया नौकरी को गुडबॉय कहकर डिजिटल मीडिया में कूद पड़ीं। न्यूज़ नशा नाम से वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनल लांच किया। आज ये सक्सेसफुल वेंचर है। विनीता अब कइयों को रोजगार दे रही हैं। न्यूज़ नशा के नाम दर्जनों बड़ी ब्रेकिंग स्टोरीज हैं। इसके वीडियोज लाखों में देखे जाते हैं। 


विनीता जुझारू हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की पदाधिकारी रहीं लेकिन अपनी शर्तों पर। महिलाओं के मुद्दे पर काम किया। जमीनी पत्रकारों के हित को तवज्जो देती रहीं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में नदीम समेत कइयों के लाख विरोध के बावजूद विनीता के प्रयासों से मुझे भी मेम्बरशिप मिली। ये और बात है कि वहां के दल्ले मठाधीश देर तक मुझे पचा न पाए और बर्खास्त कर दिया। 


कहने का आशय ये कि विनीता अगर तय कर लेती हैं कि इस राह चलना है तो फिर उन्हें कोई भटका नहीं सकता। मजबूत इच्छाशक्ति और जिजीविषा वाली विनीता को पत्रकारिता में अभी काफी आगे जाना है। जिन कुछ लोगों का मैं कद्र करता हूँ उनमें से एक विनीता हैं। परंपरा और आधुनिकता को समेटे विनीता लेफ्ट राइट हर एक खेमे से दूर रहती हैं। वे सत्य समाहित किए खबर के पक्ष में खड़ी होती हैं। चाहे जिस खेमे की लंका लगती हो,  खबर है उनके पास तो इसे फोड़कर ही दम लेती हैं। 

जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं! 

तेवर जज्बा बना रहे