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मुंबई का 'वेट' सबसे ज्यादा है, इसलिए टीआरपी मीटर को मैनेज कर नंबर वन चैनल बनना बिल्कुल मुमकिन है

प्रभात डबराल

कुछ लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या एक ही शहर (मुंबई) या एक-दो शहरों में कुछ पीपुल्स मीटरों में छेडखानी करके टीआरपी में नम्बर एक हुआ जा सकता है. मेरा उत्तर है - हाँ ये सम्भव है. लेकिन बड़ा मुश्किल काम है. 


ये सही है कि देश भर में जो तीस हज़ार मीटर लगे हैं उनमें से मुंबई या दिल्ली में मुश्किल से हज़ार -बारह सौ मीटर लगे होंगे. लेकिन ये ध्यान रखिए कि मीटरों की संख्या से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. क्योंकि मुंबई में लगा एक मीटर टी आर पी पर लखनऊ या कोटद्वार में लगे मीटर से ज़्यादा प्रभाव डालता है. हर शहर के मीटर की अलग ताक़त है.


इसे इस तरह से समझिए:

1. टी आर पी आकलन के लिए सारे देश को छोटे छोटे टुकड़ों में बाँटा गया है जिन्हें “मार्केट” कहा जाता है. 


2. मुंबई एक मार्केट है और रेस्ट ओफ़ महाराष्ट्र (बाकी महाराष्ट्र) अलग मार्केट है.  दिल्ली अलग से एक मार्केट है. लेकिन यूपी में दो मार्केट हैं - मिलियन प्लस (बड़े शहर) और रेस्ट ओफ़ यू पी.


3. इसी प्रकार पूरे देश में दसियों मार्केट बनाए गए हैं.


4. ध्यान देने वाली बात ये है कि इनमें से हर “मार्केट” का टी आर पी पर प्रभाव अलग अलग है - इसे “वेट” कहते हैं.


5. मुंबई का 'वेट' सबसे ज़्यादा है. दिल्ली दूसरे नम्बर पर है. तीसरे नम्बर पर यूपी का मिलियन-प्लस (पाँच छह बड़े शहर) आता है.


6. जब अपन चैनल्स चलाते थे तो मुंबई का “वेट” 16 प्रतिशत था, दिल्ली का 14 प्रतिशत और  यूपी के दोनो मार्केट  मिलाकर क़रीब 12 प्रतिशत. 


इसका अर्थ ये हुआ कि अगर किसी बड़े चैनल ने इन तीनों मार्केट्स के मीटर कब्ज़ा लिए तो 42 पर्सेंट टी आर पी उसके क़ब्ज़े में आ गईं. लेकिन ऐसा कर पाना बहुत ही मुश्किल काम  है.


लेकिन मुंबई का वेट ज़्यादा होने का मतलब ये हुआ कि अगर आपको ये पता है कि वहाँ जो चार- पाँच सौ या जितने भी मीटर लगे हैं वो किस किस घर में हैं और उन सारे या उनमे से कुछ घरों में सारे दिन सिर्फ़ आपका चैनल चल रहा है तो बहुत सारी टी आर पी आपके झोले में आ जाएँगी. बिहार और उड़ीसा में अगर आपने ये हरकत की तो कम टी आर पी मिलेंगी क्योंकि उन मार्केट्स का वेट कम है.


इसलिए ये तो तय है कि अगर किसी को टी आर पी का झोल करना है तो मुंबई या दिल्ली में करना ही ठीक रहेगा. बाकी जगह मेहनत ज़्यादा होगी, टी आर पी भी कम मिलेंगी.


मेरा कहना ये है कि अगर मुझे मुंबई के मीटर वाले घरों में से २०-२५ परसेंट घरों का भी पता चल जाए तो मैं हफ़्ते भर में अपने चैनल को तीसरे चौथे से पहले नम्बर पर ले आऊँगा और किसी को शक भी नही होगा, बशर्ते कि बाकी मार्केट्स में मेरा चैनल कम से कम दूसरे नम्बर पर रहे.


इसलिए भाई लोगों अगर रिपब्लिक दिल्ली, यूपी वग़ैरह में भी नम्बर एक है तो ये कहा जा सकता है कि मुंबई पुलिस ने ये फ़ालतू का टंटा खड़ा किया है. लेकिन अगर दिल्ली, यूपी में रिपब्लिक दूसरे/ तीसरे नम्बर पर है तो फिर  रिपब्लिक ने खेल कर दिया है.