दुनिया के सबसे शानदार अर्थशास्त्रियों में शुमार डॉ मनमोहन सिंह जैसे नेताओं को ये देश डिजर्व करता था भला? कभी नहीं !
एक घटना बताता हूँ। मैं दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करता था और रीजनल हेड होकर लखनऊ ट्रांसफर हो गया। मेरे शहर में भी कंपनी का एक छोटा ऑपरेशन था जिसके देखने का काम भी मुझे मिल गया। दिल्ली लखनऊ कानपुर इंदौर वगैरा।
वो साल 2009 था। चुनावी सरगर्मी जोर पकड़ रही थी। खबर आई डॉक्टर मनमोहन सिंह को हृदय की समस्या हुई है और मामला गंभीर है। उस समय भी मुझे खबरों का वैसा ही नशा था जैसा आज है तो सारा दिमाग इसी एक खबर पर लगा हुआ था।
टीवी पर खबरें चलने लगीं। सोनिया गाँधी और अन्य बड़े नेता डॉक्टर सिंह के पास पहुँचने लगे। एम्स के डॉक्टर जो पहले से उनका इलाज़ करते रहे थे उनसे जानकारी करने पर पता चला की मामला गंभीर है और डॉक्टर सिंह सर्जरी के लिए राजी नहीं हैं कि चुनाव सामने थे और वो ऐसे में अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरत रहे थे।
जिस देश में पूर्व में ऐसे नेता भी हुए हैं जिन्होंने घुटने बदलवाने में भी देरी नहीं की थी और विदेश से डॉक्टर को करोड़ों की फीस देकर देश में बुलवाया था ऐसे ऐसे पीएम रहे थे जिन्होंने घुटना बदलवाने के लिए भी विदेश से बेहद महंगे डॉक्टर बुलवाए थे, उसी देश में गंभीर ह्रदय की बीमारी को अवॉयड करना चिंतित करने वाला था खासकर उनकी पार्टी के नेताओं और डॉक्टर सिंह का इलाज करने वाले डॉक्टरों के लिए। और फिर डॉक्टर सिंह के पास तो दुनिया में कहीं भी जाकर बेहतरीन इलाज करवाने का विकल्प भी था।
खैर सोनिया जी और अन्य नेताओं ने डॉक्टर साब को इलाज़ के लिए जैसे तैसे राजी कर ही लिया। सर्जरी प्लान हुई उसी एम्स में जो हमारा अपना अस्पताल था और एक से एक बेहतरीन डॉक्टरों की बदौलत सुविख्यात था। तेजी से तैयारियां शुरू हुईं और डॉक्टर सिंह को अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया। देश ने दुवाएँ मांगनी शुरू कीं और एक लम्बी ओपन हार्ट सर्जरी के बाद खबर आई कि सर्जरी सफल रही और जल्द ही वो होश में आएँगे।
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— VOiCE OF MEDIA (@voiceofmedia1) September 18, 2025
तीन दिन में डॉक्टर सिंह ने सरकारी फाइलें अपने हॉस्पिटल बेड पर देखनी शुरू कर दी थीं और एक हफ्ते बाद वो घर वापस आ गए। एक महीने में वो पूरी ऊर्जा से कामकाज करने दफ्तर दाखिल हो गए
उसके बाद चुनाव की सरगर्मी शुरू हुई तो सब इस सर्जरी को भुलाकर चुनावन में व्यस्त हो गए। ये वही चुनाव थे जिसमें कांग्रेस ने शानदार बहुमत हासिल करके आडवाणी जैसों के करियर पर पूर्ण विराम लगा दिया।
ऐसे थे हमारे सिंह साब जिनको अपनी लम्पटता के अधीन होकर किसी ने मौन मोहन और किसी ने कुछ और कहा और डॉक्टर सिंह ने कभी कोई जवाब नहीं दिया। दुनिया के सबसे शानदार अर्थशास्त्रियों में शुमार डॉक्टर सिंह जैसे नेताओं को ये देश डिजर्व करता था भला ? कभी नहीं !
आज उनका जन्मदिवस है तो ये सब लिखने का फिर से दिन कर गया। ये कहानियां वो हैं जिनको हमने सामने घटित होने देखा है और फख्र महसूस किया है। नमन है डाक्साब !! अब न आना इस देश में फिर।
हमको अब वो मिला है जिसकी इस देश को हज़ार साल से प्रतीक्षा थी। एक लम्पट और चिराँध फैलाने वाला भावविहीन आदमी जिसके रग रग में कुंठा भरी है और इस देश को जोरदार तरीके से उसके मर्मस्थल पर वार करके लहुलुहान कर रहा है और उन्मत्त होकर अट्ठहास लगा रहा है।