हमारी, आपकी, सबकी आवाज

किसी ने कार्टून बनाया तो क़त्ल करने का हक़ मिल गया? जहालत यूनिवर्सल रिलीजन है इस पर किसी एक का कॉपीराइट नहीं है!

मनिंदर सिंह

कट्टरपंथियों को दिक्कत इस बात से नहीं है कि एक इंसान की जान ले ली गई बल्कि इस बात से है कि कार्टून क्यों बनाया गया? मतलब कार्टून बनाया गया तो सामने वाले को हक मिल गया दूसरे की जान लेने का? तभी ना कहता हूं मैं कि जहालत यूनिवर्सल रिलिजन है किसी एक का कॉपीराइट नहीं है इस पर। 


हम जैसे लोग जब कहते हैं कि कभी-कभी जेहन में यह ख्याल उठ जाता है कि हम किस के लिए बोल रहे हैं गालियां खा रहे हैं। उस पर भी कुछ धर्मांध उठकर बोल देते हैं कि हम अपना अच्छा बुरा देख सकते हैं किसी की जरूरत नहीं है। धर्मांध कट्टरपंथियों अन्याय और जुल्म के खिलाफ बोलना तुम क्या समझोगे वैसे भी तुम्हारे लिए कौन बोलेगा बोला तो मजलूमों के लिए जाता है उनके लिए जाता है जिन को दबाया जाता हो तुम तो खुद धर्मांधता की अफीम में डूबे हुए कीड़े हो जो किसी की हत्या को जायज ठहरा देते हो।


कड़े शब्दों का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि वह बनता है। धार्मिक कट्टरपंथियो तो  तुम जितना धर्म के नाम पर गंद मचाते जाओगे उतना ही समझदार लोग तुम्हारी वजह से धर्मों से दूर होते जाएंगे क्योंकि धर्म का जितना बेड़ा गर्क धर्म के ठेकेदारों और धर्मांध व्यक्तियों ने किया है उतना किसी और ने नहीं किया है।तुम अपने दिलों में मौजूद नफरत से खुद का तो बेड़ा गर्क करते ही हो और अपने आसपास भी बदबू फैला देते हो। 


एक बार मिली इस छोटी सी प्यारी सी जिंदगी तुम अपनी धर्मांधता की वजह से अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी नरक में तब्दील कर देते हो। और आप सब भी जो सब कुछ देख कर भी चुप रह जाते हैं ना दोष आपका भी है कट्टरता के खिलाफ आज नहीं बोलोगे तो कल उसका भुगतान आपको भी करना पड़ेगा आग लगेगी तो फिर सामने नहीं देखेगी  किस को जलाना है। यहां मौका मिले जब मिले कट्टरता की पुरजोर मजम्मत की जानी चाहिए। 


21वीं सदी के इस आधुनिक समाज में धर्मांधता एवम कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। अपना जीवन तो जी लिया कम से कम आने वाली नस्लों को तो प्यार और अमन से भरा माहौल दे दो। जिंदगी ना मिलेगी दोबारा।