Sunday, October 11, 2020

कथित भाभी नकली हो सकती है, लेकिन रिपोर्टर को साजिशकर्ता बताना जिम्मेदारीपूर्ण कृत्य नहीं है

अविनाश चतुर्वेदी

जो लोग हाथरस मामले में कथित नकली भाभी और Chitra Tripathi के इंटरव्यू को लेकर ऊलजलूल बातें कर रहे हैं, वे न तो पत्रकार हैं और न ही पत्रकारिता की ABCD जानते हैं। 


ऐसी विषम परिस्थितियों में फैक्ट्स निकलना कितना कठिन होता है यह वही जान सकता है जिसने इन परिस्थितियों में रिपोर्टिंग की हो। जब घर मे मातम पसरा हो, मामला नेशनल लेवल का हो चुका हो और पुलिस खार खाये बैठी हो खुन्नस निकालने के लिए, ऐसे में घर के परिजनों से मिलना ही चक्रव्यूह पार करना है। 


ऐसे में असली भाभी की शिनाख्त परेड कराना सम्भव नहीं है और रिपोर्टर को जिसने जो परिचय दिया उसी पर काफी हद तक निर्भर रहना होगा।पीड़िता की तथाकथित भाभी और ChitraTripathi का वह इंटरव्यू मैंने भी देखा था। उसमें किसी प्रकार की आपत्तिजनक, देशद्रोही बात या साज़िश नजर नहीं आयी। यहां तक कि भाभी ने कहा कि हमारे लिए पैसे की कोई बात नहीं है।


सोशल मीडिया कौवे का कान लेकर भागने पर उसके पीछे भागने वाली हरकत कर रहा है। मैं यहां पर इस मामले में राजनीतिक गिद्धचाल, मीडिया ट्रायल, पीएफआई का कनेक्शन और नक्सली एंगल से बिल्कुल इनकार नहीं करता हूँ। लेकिन 22 सालों में जितना मैं #chitratripathi को जनता हूँ, वह देशविरोधी ताकतों का या व्यावस्थाविरोधी साजिश का हिस्सा नहीं हो सकतीं हैं।


इसलिए सोशल मीडिया में कई जिम्मेदार लोगों द्वारा भी धड़ल्ले से #Chitratripathi के खिलाफ बिना सिर पैर के बनाई जा रही कहानियों पर अफसोस जाहिर करता हूँ। मेरा निवेदन है कि रिपोर्टर के शूज में पैर डालकर सोचें, फिर अपना मत व्यक्त करें। हां, मीडिया बिज़नेस संस्थान AajTak की मैं कोई गारंटी नहीं लेता हूँ। 

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